तीन लोक चौदहव भवन में मां के ऋण से उरिन न हुई साहित्यकार ईश्वर चंद्र मेंहदावली की उपरोक्त पंक्तियों के साथ समाजसेवी रामकुमार नारद की मां यशोदा मैया के शांति भोज में आयोजित काव्य गोष्ठी का शुभारंभ हुआ पंडित राम हौसिला शर्मा ने पढ़ा- कि मां की गोद में इतना सुख है, स्वर्ग का सुख भी फीका लगता है वैभव सुख एस सब कुछ, मां के चरणों में मानव को मिलता।
पूजा मनमोहिनी ने मां की वंदना करते हुए पढ़ा- तू गंगा है तू जमुना है, तू ही चारों धाम है मईया। तेरी सेवा से ही मानव, भव से होता पार है नईया।।
उमाशंकर दुबे उदय ने मां की महिमा गाते हुए पढ़ा-मां तुझसे ही सृष्टि सारी, तुझसे ही प्रकाशित संसार। बिन तेरे सब शून्य यहां पर, सबका तू ही है आधार।।
साहित्यकार डॉ ईश्वर चंद्र मेंहदावली ने मां की महिमा कुछ इस प्रकार गाई- तीन लोक चौदहव भवन में, मां के ऋण से उरिन न कोई। घोर तिमिर में जीवन डूबे, चिर निंद्रा में जब मां सोई।।
रामकुमार नारद ने मां को समर्पित पंक्तियां पढ़ी- अपना जीवन अर्पण करके, कर्ज तेरा ना भर पाऊंगा। जो तूने उपकार किए हैं, अदा कभी ना कर पाऊंगा।।
कार्यक्रम को यादगार बनाने के लिए साहित्यकारों ने मां के नाम एक पेड़ भी लगाए।
इस अवसर पर मनकापुर के ब्लॉक प्रमुख जगदेव चौधरी, पूर्व ब्लाक प्रमुख यू पी सिंह, सभासद वैभव सिंह, नगर पंचायत अध्यक्ष दुर्गेश कुमार बबलू सोनी, पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष प्रदीप कुमार गुप्ता, विश्व हिंदू परिषद के संतोष कुमार, भारतीय जनता पार्टी के अष्टभुजा मोदनवाल रामबाबू, कसौधन समाज के रमेश चौधरी, डॉ आलोक, बड़कन, रामचंद्र जायसवाल, भीषम वर्मा, कामता प्रसाद मिश्रा, हरि दत्त मिश्रा, रमाशंकर गुप्ता, श्री राम सेवा समिति के अभिषेक गुप्ता, मुकेश चौबे, दुर्गेश कुमार कसौधन, प्रदीप कुमार गुप्ता, राकेश पांडे, ज्ञानेन्द्र चौधरी, संतोष शुक्ला, जिताऊ राम वर्मा तथा अन्य पत्रकार, समाजसेवी, बुद्धिजीवी उपस्थित रहे।
ब्यूरो रिपोर्ट S9_Bharat