गोंडा के तेजतर्रार एसपी ने नगर पालिका परिषद गोंडा के पीएफ घोटाले में पुनः जांच के दिए आदेश
भष्टाचारियों में दहसत का माहौल किसी ने ठीक ही कहा है कि बुरा कार्य चाहे जितनी भी होशियारी से किया जाए परंतु एक ना एक दिन फंसना तय है फिर भी भ्रष्टाचारी आर्थिक अपराध करन वाले तनिक भी इस बात का ख्याल नहीं रखते हैं कर्मचारी की नौकरी की गाढ़ी कमाई का कुछ अंश काटकर पी.एफ में जमा किया जाता है जिससे जब वह रिटायर होकर अपने घर जाए तो बुढ़ापे में अपना और अपने परिवार का भरण पोषण कर सके इस प्रकार की पीएफ कटौती नगर पालिका परिषद गोंडा में भी हो रही थी परंतु यह सब कार्य सिर्फ कागजों तक हो रहा था कर्मचारियों के पीएफ का पैसा उनके पास बुक में नहीं जमा किया जा रहा था
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जब यह मामला प्रकाश में आया तो ई.ओ. नगर पालिका परिषद गोंडा विकास सेन ने कार्यालय के लिपिक पर कागजों के हेराफेरी का आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज कराया था जांच में बाबू की भूमिका संदिग्ध लग रही थी जिसके बाद उसे जेल भेज दिया गया इस मामले की पैरवी कर रहे लोगों का कहना है कि यदि ठीक से जांच हो जाए तो घोटाले की राशि 3 से 5 करोड़ के बीच हो सकती है और जांच की आंच सपा के वरिष्ठ नेता पूर्व चेयरमैन पर भी आ सकती है साथ ही साथ कई ई.ओ. जांच के लपेटे में आ सकते हैं इन्हीं सब बारीकियों को ध्यान में रखकर गोंडा के तेजतर्रार कप्तान आकाश तोमर ने एक बार फिर से पीएफ घोटाले की जांच कराने का आदेश दे दिया है इस मामले की जांच नगर कोतवाल को सौंपा गया है अब यहां पर यह देखना दिलचस्प हो गया है कि जांच के जाल में बड़ी मछलियां फंसेगी या फिर से छोटी मछलियों का ही शिकार होगा लेकिन भ्रष्टाचारियों को यह भली-भांति पता होना चाहिए कि यह जांच की जाल योगी द्वारा प्रदत्त है जिसे गोंडा के एसपी कुशलता से चला रहे हैं तुम्हारा बच पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है।
साभार-कौशलेंद्र प्रताप सिंह
संपादक-एस.के.सिंह @S9 Bharat