राष्ट्रपिता त्याग तो शास्त्री जी थे सादगी की प्रतिमूर्ति।

धूमधाम से मनाई गई बापू और शास्त्री जी जयंती।

लोगों ने अपने आसपास की सफाई करने का लिया गया संकल्प।

गांव के गलियारों से लेकर चौक चौराहों पर होती रही महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री के त्याग की चर्चा।

आज पूरे देश और प्रदेश में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और स्वर्गीय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री त्याग और सादगी की चर्चा होती रही।

आप को समझना होगा कि यूं ही कोई व्यक्ति पूरे देश का आदर्श बनकर राष्ट्रपिता की उपाधि हासिल नहीं कर लेता उसके लिए उस व्यक्ति को अपने तमाम व्यक्तिगत हितों का बलिदान करके राष्ट्रहित के लिए अपने को समर्पित कर देना पड़ता है।

आप सभी दर्शक बंधु गांधी जी के बारे में कुछ सामान्य जानकारी हासिल कर लें कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी मोहनदास करमचंद गांधी के नाम से जाने जाते थे।

वह उच्च कोटि के बैरिस्टर थे वकालत के संबंध में उन्हें देश-विदेश आना जाना रहता था।

उस समय पूरी दुनिया में अंग्रेजों का राज्य था कहा जाता है उस समय सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक की धरती अंग्रेजों के कब्जे में थी यह सारा भूभाग अंग्रेजों का उपनिवेश था।

सभी देशों में अंग्रेजों द्वारा बनाया गया कानून ही लागू होता था जिससे उस देश की जनता बहुत ही कठिनाइयों का सामना करती थी।

गांधी जी के जीवन में आमूल चूल परिवर्तन उस घटना से हुआ जब वे एक बार दक्षिण अफ्रीका इब्राहिम एंड संस के मुकदमे के सिलसिले में गए हुए थे।

वे दक्षिण अफ्रीका में डरबन से प्रेरीटोरिया के मध्य प्रथम श्रेणी का टिकट लेकर रेलगाड़ी से यात्रा कर रहे थे।

लेकिन उन्हें अंग्रेजों ने ब्लैक इंडियन अर्थात काला भारतीय कहकर अपमानित करके टिकट लेने के बावजूद गाड़ी से उतार दिया।

उस समय महात्मा गांधी ने महसूस किया कि हमारे जैसे पढ़े-लिखे और उच्च कोटि के वकील के साथ जब ऐसा बर्ताव अंग्रेज कर सकते हैं तो आम भारतीयों के प्रति कैसा बर्ताव करते होंगे।

तब उन्होंने निश्चय कर लिया कि आज से हम अंग्रेजों की अत्याचार से अपने देश के साथ-साथ अन्य देशों के लोगों को भी मुक्त कराएंगे।

इसके लिए उन्होंने सत्य और अहिंसा और सत्याग्रह नाम के दो अचूक अस्त्र का प्रयोग किया।

भारत में आने के बाद उन्होंने अपना वस्त्र कोट पेंट और टायी का त्याग कर दिया और बहुत ही साधारण वस्त्र धारण कर लिया।

बहुत ही कम पैसे का एक धोती आधा ओढ लेते थे और आधा पहन लेते थे।

हाथ में एक छड़ी होती थी आंखों की सुरक्षा के लिए बहुत ही कम मूल्य का चश्मा लगाया करते थे और पैरों में उनका चप्पल अत्यंत साधारण किस्म का था।

उनकी यह वेशभूषा एक महान महात्मा की थी बहुत सारे ऐश्वर्या और संसाधन होने के बावजूद सबका उन्होंने परित्याग कर दिया था
।उन्होंने एक-एक करके कई आंदोलन चलाया असहयोग आंदोलन सविनय अवज्ञा आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन।

इन आंदोलनों के माध्यम से भारत की जनता को यह विश्वास दिला दिया किञ वह घड़ी नजदीक आ गई है कि भारत एक स्वतंत्र देश बनकर अपने संप्रभुता का मालिक स्वयं होगा।

संयोग देखिए आज ही के दिन स्वर्गीय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी का भी जन्मदिन है उनकी कद काठी भले ही साधारण रही हो लेकिन आत्म बल शेर के समान था।

वह सादगी के प्रतिमूर्ति थे उन्हें एहसास था कि हम एक गरीब देश के प्रधानमंत्री हैं।

उनका मानना था कि व्यर्थ के दिखावे पैसा ना खर्च किया जाए आज यह दोनों महान पुरुष हम सभी भारतीयों के लिए आदर्श प्रेरणा स्रोत है।

आज मनकापुर तहसील में इन दोनों महापुरुषों की जीवनी का गुणगान करते हुए उनके जन्मदिन को बड़े आदर और सम्मान के साथ मनाया गया।

एसडीएम मनकापुर राजीव मोहन सक्सेना ने उपस्थित लोगों से अपील की कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और स्वर्गीय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के जीवन से हमें प्रेरणा लेते हुए प्रत्येक सप्ताह में एक या दो गरीब आदमी की आवश्य मदद करनी है।

जिसका उपस्थित लोगों ने स्वागत करते हुए सहर्ष स्वीकार किया।

वही इस मौके पर नायब तहसीलदार ने कविता के माध्यम से लोगों को अच्छा कार्य करने के लिए प्रेरित किया।

ब्यूरो रिपोर्ट S9_Bharat

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