शोध केंद्र ,श्री लाल बहादुर शास्त्री स्नातकोत्तर महाविद्यालय,गोंडा में जनपद के ओजस्वी, ‘साहित्य भूषण’ साहित्यकार श्री शिवाकांत मिश्र ‘विद्रोही’ का आगमन हुआ आपके कई महत्वपूर्ण खंडकाव्य, काव्य संकलन व समय -समय पर अनेक लेख पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते हैं आपने आज श्री नानकचंद ‘इशरत’ के महाकाव्य ‘कामदेव- विजय’ की टंकित प्रति शोध केंद्र को सौंप दिया है यह महाकाव्य अपने कलेवर में विशिष्ट इसलिए है क्योंकि इससे पहले कामदेव पर कोई महाकाव्य नहीं लिखा जा सका था श्री नानक जी ने इसे अपने कार्यकाल में ही अपने शिष्य प्रेमचंद श्रीवास्तव जी को दिया था जो जी. आइ. सी. गोण्डा में प्रवक्ता थे 1985 में लखनऊ विश्वविद्यालय में शोध कार्य कर रहे शैलेंद्र मिश्र को भी इस कृति को प्रेमचंद श्रीवास्तव ने गोंडा के साहित्य सर्वे के दौरान पढ़ने के लिए दिया था तदुपरांत प्रेमचंद जी ने ‘विद्रोही’ जी को इसे प्रकाशित कराने की जिम्मेदारी के साथ सौंप दिया था लगातार शोध केंद्र के आग्रह पर उन्होंने यह कृति शोध केंद्र को भेंट की है। अब शोध केंद्र इसके संपादन ,प्रकाशन की व्यवस्था करेगा तथा हिंदी के विद्यार्थी इस पर शोध कार्य करेंगे।
शोध केंद्र राष्ट्रीय स्तर के चर्चित एवं प्रशंसित साहित्यकार श्री शिवाकांत मिश्रा ‘विद्रोही’ का आभार महाविद्यालय की तरफ से व्यक्त किया गया
महाविद्यालय का हिंदी विभाग आदरणीय श्री मिश्र जी के ऊपर शोध कार्य भी करा रहा है।
एस.के.सिंह- मुख्य संपादक S9-BHARAT